रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
मन-आँगन
चिड़िया-सी चहके
प्यारी बहना ।
2
हिय-बगिया
फूलों -जैसी महके
प्यारी बहना।
3
सीपी का मोती
इससे शर्माए ये
नैनों की ज्योति ।
4
इससे बड़ा
जग में न था न है
कोई गहना ।
5
इसका प्यार
है गंगा-सा शीतल
और निश्छल ।
6
ताप हर ले
दहके मन के ये
ऐसा चन्दन ।
7
प्यार के साँचे
प्राण -बहना ढले
जीवन चले ।
8
भाई की छाया
जो बहन को मिली
ज़िन्दगी खिली।
9
गगन जले
भाई- तरु की छाया
मिलती गले
10
अगले जन्म
भी बनो जो बहना
कर्ज़ उतरे
11
तेरी खुशियाँ
मेरा स्वर्ग बहना
पास रहना
12
ज़हिने आँखें
कब भारी लगती
पाखी को पाँखें ।
13
सच्चा जो प्यार
रहता ही आया है
सदा उधार
14
लेना ही होगा
जनम बारम्बार
चुके उधार
15
यह सम्बन्ध
अनेक जन्मों का है
अटूट बन्ध
16
बहना प्यारी
है नदिया की धारा
भाई किनारा
17
शीतल मन
कर देती हर्षित
सारा जीवन
18
बहिन -संग
सातों जनम मिले
जीवन खिले ।
19
भूलूँगा नहीं
मै इस जनम में
यह है वादा
20
अकेला भाई
बहनों की दुआएँ
आगे बढ़ाएँ ।
21
भाई की चाह-
बहन का जग में
ऊँचा हो नाम
22
मेरी ताकत
मेरी हैं ये बहना
मेरा कहना
23
सात जनम
मिल जाएँ हमको
रब जो चाहे
24
भाई -बहन
कर जाएँ जग में
नाम अमर
25
तेरी दुआएँ
महसूसती मेरी
रक्त शिराएँ
26
तुमने जोड़ा
पावन हृदय का
रस निचोड़ा
27
मन में बसी
खोई बहन मिली
मेले में कभी
28
आज का दिन-
ईश्वर ने दिया ज्यों
स्वर्ग का राज
29
असीम प्यार
मुझे मिला तुम्हारा,
सभी उधार ।
30
जनम पाऊँ
मैं चाहे बारम्बार
चुका न सकूँ
31
भीगा है मन
पड़ी ऐसी फुहार
नेह का ज्वार
32
सुधा बरसे
बहन के प्यार से
प्राण हरसें
33
सारे ही धन
मुझे धूल -से लगे
मिली बहन
-0-
दो ताँका
1
मेरी बहना
कहने को है छोटी
बड़ा गहना
हीरे मोती मन में
शब्दों के कानन में
2
कुछ भी छूटे
चाहे जग ये रूठे
भाई -बहन
नित प्रेम बिखेरें
ये बन्धन न टूटे