पथ के साथी

Friday, January 20, 2023

1274-आज कुछ ख़ास

 

आज कुछ ख़ास

शशि पाधा 

  

चलो बचा लें


दुनिया की आपाधापी से

आधा दिन -आधी रात

सिर्फ

अपने लिए

तुम गुनगुनाना

कोई गीत

मैं जोड़ दूँगी

कोई भूली कड़ी

तुम आँखों से हँसना

मैं सुन लूँगी

खनकते साज

तुम चाँद देखना

मैं निहारूँगी

केवल तुम्हें —-

अभी  बाकी है


बहुत कुछ कहना

बहुत कुछ सुनना

वक्त का भरोसा नहीं

कब हाथ से

फिसल जाए

-0-

शशि पाधा

20 जनवरी, 2023

1273

 

1-होशियार / भीकम सिंह 

सभी 

पहाड़ों ने बताया था 

घने जंगलों का

संसाधन- आधार

 

परन्तु 

दोहन के बाद हुआ 

सरंक्षण में 

कहाँ-कहाँ सुधार ?

 

दस्तावेजों में 

विकास के लिए 

योजनाएँ विकसित हुई 

अनेकों बार 

 

फिर भी 

जमने ना दी

शिखर पर हिम 

हर बार

 

सामान्य से 

तापमान बढ़ा

मैदान चोटियों पर चढ़ा

बेशुमार 

 

फिर

फफककर फूटा 

पहाड़ का दुःख 

जोशीमठ, कभी केदार

 

कितने 

पर्यावरणविदों ने 

दिखाये स्वप्न 

ले-लेकर दो-चार

 

और कहा-

हम बचा लेंगे 

कर देंगे सब ठीक 

स्कीमें हैं तैयार 

होशियार! होशियार! होशियार । 

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2-  प्रेम  सुरभि डागर

  

आत्मिक प्रेम में

मगन हो जाती हूँ

झूमने लगता है चित ,

आत्मा निकल शरीर से

नृत्य करने लगती है 

तेरे नयनों के पवित्र

प्रेम में समा जाती हूँ

प्रकृति के समर्थन से 

मिल पाती है

तुमसे मेरी रूह

हने लगती है

 मन्द -मन्द सुगन्ध 

चहचहा उठते हैं

मोर, पपीहा आदि,

उड़ेल देता है चाँद 

अपनी  चाँदनी को 

हृदय के प्याले में

 मन उड़ता रहता है 

मूरली की धुन की ओर 

समा लेते हो तुम भी 

मेरे आत्मिक प्रेम को

अपने हृदय के किसी कोने में।।

-0-