रामेश्वर काम्बोज’हिमांशु’
है हमारी कामना
यही पावन भावना ।
दु:ख कभी न पास आएँ
अधर सदा मुसकुराएँ
खिल जाएँ सभी कलियाँ
महक उठे मन की गलियाँ
हृदय जब हो जाए दुर्बल
बन जाना तू ही सम्बल
हाथ आकर थामना
है हमारी कामना ।
कौन अपना या पराया
मन कभी न जान पाया
यह मेरा वह भी मेरा
साँझ अपनी व सवेरा
बाँट दो दुख कम कर लो
सुख द्वारे पर यूँ धर लो
सुखों से हो सामना
है हमारी कामना ।
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