पथ के साथी

Saturday, October 8, 2022

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 1-हिन्दी है पहचान हमारी

डॉµ सुरंगमा यादव

     हिन्दी है पहचान हमारी
      हिन्दी है हम सबकी प्यारी
      इसके स्वर-व्यंजन में लहके
      नाना भावों की फुलवारी
हिन्दी ने छेड़ी जब तान
स्वतंत्रता का उत्कट गान
गूँज उठा बस एक राग
अंग्रेजों छोड़ो हिन्दुस्तान
      मीठी -मधुर बोलियाँ प्यारी
      हिन्दी की सखियाँ हैं सारी
      सूर कबीर औ' तुलसीदास
      हिन्दी है इन पर बलिहारी
आजादी को देख सिहाई
हिन्दी हँसी और मुस्कायी
जाने कैसी नीति बनी पर
हिन्दी करती है भरपाई
    शिक्षा और न्याय की भाषा
      बन अंग्रेजी करे तमाशा
       हिन्दी के सर चढ़कर बोले
       मैं ही हूँ भविष्य की आशा
अपनों का भी हाल अजब है
अंग्रेजी की बड़ी तलब है
'हिंग्लिश' ही अब बोल रहे हैं
अंग्रेजी ही स्टेट्स अब है
     लिपि से भी अब तोड़ें नाते
      रोमन लिपि में हिन्दी लिखते
      ए-बी-सी को बड़ा समझकर
       क-ख-ग से नाक चढ़ाते
लेकिन हिन्दी बढ़ती जाती
हिन्दुस्तान का दिल कहलाती
हिन्दी को बिन सीखे-समझे
संस्कृति नहीं समझ है आती

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2-खुशी/ पूनम सैनी

 

कहो कब है खुशियाँ मिली

मयखानों के द्वार

बहाने बहुत है बहने को,

बहकने को भी हज़ार

कोई डूबा बोतलों की आब में

कोई आँसुओं के सैलाब में

गम सदा रहा जलता मगर

दिल के कोमल चिराग में

ला लबों पर तू किसी के

महकी सी मुस्कान

छेड़ दे दिल तार पर तू

उल्लसित -सी तान

भरे नयन से बहता नीर

बाँटेगा बस केवल पीर

तेरे अधरों की मुस्कान

किन्हीं लबों की होगी शान

हृदय बरसते सावन को तू

बना बसंत का बाग खिला

बाँट सकोगे केवल उतना

जो भी खुद भीतर मिला

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