पथ के साथी

Sunday, March 25, 2018

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1-मुक्तक
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु'
हमको कुछ पता नहीं खुशी कहाँ ले जाएगी।
साँझ को तेरी मिली कमी कहाँ ले जाएगी।
आसमाँ से जो गिरा,उसको उठाता कौन है
जिसे किनारा न मिला,  नदी कहाँ ले जाएगी


-0-[ 25 मार्च-18]


2-नन्ही गौरैया
सुदर्शन रत्नाकर

वह जो भूरे-पीले पंखों वाली
     नन्ही गौरैया
हर रोज आती थी
मेरे आँगन में
अब आती नहीं
सूरजमुखी का पराग
चुन चुन खाती नहीं
न ही पेड़ की फुनगी पर
बैठ कर, झूला झूलती है
बैठी रहती है छत की मुँडेर पर
सूर्य उगने के इंतज़ार में, क्योंकि
मेरे घर के सूरजमुखी मुरझा गए हैं
और दीमक लगे पेड़ की शाखाएँ
सूख गई हैं, इसलिए
वो जो पीले भूरे पंखों वाली
नन्ही गौरैया
मेरे आँगन में आती थी
अब आती नहीं।।
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-29, नेहरू ग्राउण्ड ,फ़रीदाबाद 121001
मो.. 9811251135
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3-कविता
 चन्द्रबली शर्मा
1
है विकलता आज कैसी,मैं समझ कब पा रहा हूँ।
भग्न हृदय से मानस-पटल पर,छवि तेरी बना रहा हूँ।
पर न जाने पूर्ण क्यों वह,हो नहीं मुझसे रही है।
तू नहीं रूठी कभी पर,रूठ छवि तेरी रही है।
 2
सोचता हूँ मन भरम जाए किसी विध आज मेरा।
क्या पता आए तेरा सन्देश लेकर शुभ-सवेरा।
और भी कुछ ना सही, कुछ तो अवधि अल्प होगी
रात्रि तेरी विरह-दुःख में,ना मुझे शत-कल्प होगी।
 3
छवि ही तेरी रूठी नहीं,रूठा सभी संसार मुझसे।
नींद रूठी,चैन रूठा और रूठा प्यार मुझसे।
किन्तु मुझको है नहीं,चिन्ता किसी के भी टूटने की
है नहीं शंका तनिक भी,प्रिय तुम्हारे रूठने की।
 4
बस यही मैं सोचता हूँ,कैसे तुमको ये कहूँ
बसते हैं तन-मन में मेरे,तेरी साँसों के सुमन
तू अगर रूठी रही तो,सब बिखर ही जाएँगे
उजड़े उपवन में भला फिर,भौंरे क्या गा पाएँगे।
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