पथ के साथी

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Sunday, July 24, 2022

1226-अपनी हार स्वीकार मुझे।


 कपिल कुमार

युद्धभूमि में अगर रक्त गिरे

धर्म-युद्ध में कोई अशक्त गिरे

फिर तोड़ फेंकना मेरे शस्त्र

नहीं लेना कोई प्रतिकार मुझे

हाँ!अपनी हार स्वीकार मुझे।

 

नहीं बनना कोई सिद्ध मुझे

नहीं  करनी युद्ध की जिद्द मुझे

नहीं  देखना बच्चों के आँखों में नेत्रजल

नहीं  सुननी विधवाओं की चीत्कार मुझे

हाँ! अपनी हार स्वीकार मुझे।

 

अब मुझसे स्नेह की बात करो

हिंसा पर प्रेम से आघात करो

सौंप दिए कवच-कुंडल इंद्र को

त्याग गया अब तो अहंकार मुझे

हाँ! अपनी हार स्वीकार मुझे।

 

गिरे हुए घरौंदे रोते

पक्षी रात भर नहीं  सोते

छोड़ दो ये युद्ध की जिद्द

बार-बार समझाती बयार मुझे

हाँ! अपनी हार स्वीकार मुझे।

 

लहू की नदियाँ बहती देखी

प्रकृति अकेले रोती देखी

देखे ज्यों युद्ध के वीभत्स दृश्य

फिर माँगे प्रेम, हृदय पुकार मुझे

हाँ! अपनी हार स्वीकार मुझे।

 

ना मैं कोई दुर्योधन मूर्ख

ना मैं कोई कुंती-पुत्र

भरनी है, हार स्वीकार कर

हृदयों के मध्य दरार मुझे

हाँ! अपनी हार स्वीकार मुझे।

 

-0-

Friday, July 22, 2022

1225-वर्षा

 

रश्मि विभा त्रिपाठी

1

आसमान से


मेघदूत ने छोड़ा

वर्षा का घोड़ा।

2

करते घन

भिगो धरा का तन

फोटो- सेशन!

3

बूँदें शैतान!

बेबात ही लता के

मरोड़ें कान।

4

लो गया खुल

बरखा का फ़व्वारा

प्रेशर फुल!

5

भीगती धरा!

बिजली ले कैमरा

फोटो खींचती।

6

बिजली- संग

बूँदें बल खाकर

जमातीं रंग।

7

सावन मास!

धरा के पाँव चूमें

मेघों की आस।

8

दामिनी बोली-

मेघा! भर आलाप

मैं दूँगी थाप।

9

बूँदें आ गईं

सुन मेघों का गान

देने को तान।

10

टूटी झोंपड़ी!

गरीब की वर्षा में

परीक्षा कड़ी।

11

नभ से चली

वर्षा नाचती- गाती

धरा की गली।

12

पास जो आए

पावस भू से भेंट

आँसू बहाए!

13

मेघ- नदिया

भरके गगरिया

बरखा चली।

14

बादल काँपे

वर्षा मार छलाँग

कूदी धरा पे।

15

बूँद- बिटिया

भू- माई से लिपट

फफका जिया!

-0-

Saturday, August 3, 2019

920-लबालब बड़ौदा


डॉ.पूर्वा शर्मा

लबालब बड़ौदा 

मगर   शब्द को क्लिक कीजिए


1.
श्रावण मास
ले बैठा वड़ोदरा
जल समाधि ।
2.
कैसा कहर
विश्वामित्री उफनी
डूबा शहर ।
3.
कजरी गाते
शहर में मगर
गश्त लगाते ।
4.
ढूँढते भोज
गली-शहर घूमे
मगर-फौज ।

5.
पार लगाती
एन डी आर एफ
जान बचाती  
6.
बाढ़ ने मारा
मानवता सहारा
कोई न हारा ।
7.
वर्षा तांडव
चीखे मेघ, तड़ित
धरा प्लावित ।
8.
डूबता कैसे?
लबालब बड़ौदा
हौंसला जिंदा ।
9.
माँगी थी बूँदें
मिल गया सागर
रॉंग नंबर ।
10.
जलीय बने
सिर तक पानी में
तैरते चले ।
11.
पार लगाते
वासुदेव दरोगा*
बच्ची बचाते ।
-0-
*वासुदेव की तरह पुलिस कर्मी ने नन्ही-सी बच्ची को सर पर उठा कर बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से बचाया ।


Sunday, December 16, 2018

859-ठिठुरे दिन


कृष्णा वर्मा
1
ठिठुरे दिन
कौन करेगा गर्म
सूरज नर्म।
2
लटका पाला
सूर्य की राह देखे
पंछी बेचारा।
3
शीत प्रकंप
काँपते हाड़-मां
सिहरे मन।
4
जाड़ा ऊँघता
एक हाथ दूजे को
फिरे ढूँढता।
5
रुत का रंग
पंख फैलाए सर्दी
सिकुड़ें हम।
6
कोहरा जवाँ
सिगरेट न बीड़ी
मुख में धुँआ।
7
सर्दी डराए
चाय वाले खोखे का
स्वामी मुस्काए।
8
सूर्य दहाड़े
दिवस सुनहरी
धुंध दरारें।
9
सूरज आए
धूप के कसोरे में
पंछी नहाएँ
10
धूप को लादे
चपल गिलहरी
चौगिर्द भागे।
11
धूप के साये
आनन्दित कपोत
पंख फुलाएँ
-0-


Saturday, August 29, 2015

बहना मेरी



1-कमला निखुर्पा
1
लुटाती रही 
बचपन की मस्ती
कितनी सस्ती ।
2
मीठी मिसरी
कभी मिर्ची -सी तीखी
बहना मेरी ।
3
हुए पराए
माँ के कोख जाए
कच्चे धागे ।
4
नेह की  डोर
अनजाना बंधन 
मन विभोर ।
-0-
2-रचना श्रीवास्तव
1
चाँद सजाये
भाई तेरा ये घर
तारों के संग
2
ख़ुशी के दीप
सजाये बहन ये
भाई के लिए
3
जीवन धूप
साया बन बादल
संग में चले
4
डरती नहीं
कठनायों से मैं
तुम  जो संग
5
आशीष -साया
स्नेह की रौशनी हो
घर में तेरे
6
घागा नहीं
विश्वाश है मेरा ये
रक्षा करोगे
7
करूँ गलती
तो,माफ़ भी करोगे
जानती हूँ मेँ
-0-
3-डॉ जेन्नी शबनम
1
नेह की डोर
बिछड़े अपने को
खींच ही लाई !
2
पावन सूत
बाँध देता बंधन
रहे जो दूर !
3
छोड़ो संताप
काहे करे विलाप
भइया आया !
4
नहीं छूटता
राखी याद दिलाता
मन का नाता !
5
भले न आना
पर न बिसूरना
नेह का नाता !
6
टीस दे जाती
बचपन की यादें
राखी जो आती !
7
दुआ ही देंगे
आओ कि नही आओ
भइया मेरे !
8
पैसे ने तोड़े
कच्चे धागे-से नाते
राखी ने जोड़े !
-0-
4-हरकीरत हीर
1
रिश्तों का प्यार
लिए आया है द्वार
राखी त्योहार।
2
राखी है भाई
लिये बहना आई
बाँधे कलाई।
3
छूटे न कभी
तेरा मेरा ये प्यार
भैया हमार
4
राखी की मौली
लिए आई बहना
अक्षत - रोली।
5
रक्षा बंधन
इक पाक त्योहार
जैसे चंदन। 
6
हिस्सा न पैसा
सुख- दुःख में रहें
साथ हो ऐसा ।
7
है अनमोल
रिश्ता पैसों से भैया
इसे न तोल ।
8
राखी बँधाने
आसमाँ से उतरे
चाँद सितारे ।
-0-