पथ के साथी

Wednesday, July 13, 2022

1224-गुरु

 डॉ .उपमा शर्मा

1

माता होती गुरु प्रथम,सविनय करो प्रणाम।

माँ के चरणों में सदा, बसते चारों धाम ।


बसते चारों धाम, ज्ञान नितदिन ही बाँटें

 कर कष्टों को दूर,  चुने ये पथ के काँटे। 

कह उपमा यह बात,  जुड़ा जीवन का नाता। 

रखती अपने गर्भ ,साँस देती है माता।

2

देते हमें प्रकाश वो ,आप जले ज्यों दीप।

गुरु रहे यूँ सँवारते,मोती उगले सीप।

मोती उगले सीप, चमक गुरु से ही पाते।

माटी रख कर चाक, सलौना रूप बनाते।

बन जायें पतवार, वही नैया यूँ खेते।

उपमा जोड़े हाथ, गुरु जब ज्ञान हैं देते।

-0-