पथ के साथी

Tuesday, October 31, 2017

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1-डॉ .भावना कुँअर
1
जब भी तू सपनों में आता,सूनापन भर जाता
जैसे सूखी डाली पर,नया फूल खिल जाता
हौले-हौले आकर मन में,प्रेम दीप जल जाता
रोशन करके मेरी दुनिया,बन सूरज उग जाता।

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रामेश्वर काम्बोजहिमांशु
1
जिन पर हमने किया भरोसा, सारे भेद छुपाकर निकले।
खून -पसीने से जो सींचे, वे सब हमें मिटाकर निकले।
सारी उम्र ग़ुज़ारी ऐसे , जब भीड़  मिली थी छलियों की
तुमको हमने समझा गागर, पर तुम पूरे सागर निकले ॥
2
जीवन में सुख यूँ ही कम हैं
चौराहों पर बिखरे गम है॥
फिर भी तुम हो कहाँ अकेले ।
साँसों के कम्पन में हम हैं॥

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