1-डॉ .भावना कुँअर
1
जब भी तू सपनों में आता,सूनापन भर जाता
जैसे सूखी डाली पर,नया फूल खिल जाता
हौले-हौले आकर मन में,प्रेम दीप जल जाता
रोशन करके मेरी दुनिया,बन सूरज उग जाता।
जैसे सूखी डाली पर,नया फूल खिल जाता
हौले-हौले आकर मन में,प्रेम दीप जल जाता
रोशन करके मेरी दुनिया,बन सूरज उग जाता।
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रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
जिन पर हमने किया भरोसा, सारे भेद छुपाकर निकले।
खून -पसीने से जो सींचे, वे सब हमें मिटाकर निकले।
सारी उम्र ग़ुज़ारी ऐसे , जब भीड़
मिली थी छलियों की
तुमको हमने समझा गागर, पर तुम पूरे सागर निकले ॥
2
जीवन में सुख यूँ ही कम
हैं
चौराहों पर बिखरे गम
है॥
फिर भी तुम हो कहाँ
अकेले ।
साँसों के कम्पन में हम
हैं॥
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