पथ के साथी

Friday, February 27, 2015

न छोड़ो आस का दामन

रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
पथ में साथी घोर अँधेरा ,बैरी चारों ओर ।
मत घबराना , बढ़ते जाना ,दूर नहीं है भोर ।
हम हारे वे लोग हँसेगे, जो हैं पथ के शूल ।
वे तो चाहते चूर-चूर हो , हम बन जाएँ धूल ।
2
अभी तो धूप है गहरी,कभी तो छाँव आएगी ।
गुलाबों की कभी खुशबू,हमारे गाँव आएगी ।
गगन में आँधियाँ छाईं,समन्दर बौखलाया है ।
न छोड़ो आस का दामन,किनारे नाव आएगी।।
3
सभी दिन कर दिए स्वर्णिम, रातों को किया चंदन 
हज़ारों ताप सह करके , शीतल कर दिया जीवन 
तुम्हें तो दे नहीं पाए, हम मुस्कान दो पल की ।
फिर भी दे दिया तुमने,हमें खुशबू -भरा उपवन ।

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