1-नमिता राकेश
महकें सदा
चाहत के फूल
सदाबहार
तुम्हें ही सोचूँ
तुम्हें ही देखूँ हरसू
फिर भी तन्हा
आँखों में तुम
निहारूँ क्षितिज को
तुम्हारे साथ ।
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2-सुनीता
अग्रवाल
नमकीन
सिन्धु
है कितना
मीठा
पूछो
सरिता से
उसने चखा
है ।
2
फूल
-तितली
अम्बर
-धरा
सागर
-नदी
सृष्टि
के आरंभ से
बंधे है
प्रीत की डोर
बिना
अनुबंध ।
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गीत कोई ग़ज़ल
छंद ,काव्य ,महाकाव्य
कोई
लिखता खुदा
प्रिया ,जानू, दिलरुबा
कोई
लिखता अश्क
बेवफा,
रक्कासा, बेरहम
हमने प्रीत के सजदे
सर
झुकाकर
लिखा
दिया है
मौन !!!
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