डॉ श्याम सखा ‘श्याम’
1
मन लोभी मन लालची,मन चंचल मन चोर
मन के हाथ सभी बिके,मन पर किस का जोर ।
2
तेरे मन ने जब कही,मेरे मन की बात
हरे-हरे सब हो गए,साजन पीले पात ।
3
जिसका मन अधीर हुआ,सुनकर मेरी पीर
वो है मेरा राँझना, मैं हूँ उसकी हीर ।
4
तेरे मन पहुँची नहीं,मेरे मन की बात
नाहक हमने थे लिये,साजन फ़ेरे सात ।
5
वो बैरी पूछै नहीं ,अब तो मेरी जात
जिसके कारण थे हुए,सारे ही उत्पात ।
6
सुनले साजन आज तू,एक पते की बात
प्यार कभी देखे नहीं.दीन-धरम या जात ।
7
मन की मन ने जब सुनी. सुन साजन झनकार
छनक उठी पायल तभी, कंगन बजे हजार ।
8
मन फकीर है दोस्तो,मन ही साहूकार
मुझ में रह तेरा हुआ,मन ऐसा फनकार ।
9
मन की मन से जब हुई,साजन थी तकरार
जीत सका तू भी नहीं,गई तभी मैं हार ।
10
मन की करनी देखकर.बौरा गया दिमाग
सम्बन्धों में ये लगी ,बैरन कैसी आग ?
मन के हाथ सभी बिके,मन पर किस का जोर ।
2
तेरे मन ने जब कही,मेरे मन की बात
हरे-हरे सब हो गए,साजन पीले पात ।
3
जिसका मन अधीर हुआ,सुनकर मेरी पीर
वो है मेरा राँझना, मैं हूँ उसकी हीर ।
4
तेरे मन पहुँची नहीं,मेरे मन की बात
नाहक हमने थे लिये,साजन फ़ेरे सात ।
5
वो बैरी पूछै नहीं ,अब तो मेरी जात
जिसके कारण थे हुए,सारे ही उत्पात ।
6
सुनले साजन आज तू,एक पते की बात
प्यार कभी देखे नहीं.दीन-धरम या जात ।
7
मन की मन ने जब सुनी. सुन साजन झनकार
छनक उठी पायल तभी, कंगन बजे हजार ।
8
मन फकीर है दोस्तो,मन ही साहूकार
मुझ में रह तेरा हुआ,मन ऐसा फनकार ।
9
मन की मन से जब हुई,साजन थी तकरार
जीत सका तू भी नहीं,गई तभी मैं हार ।
10
मन की करनी देखकर.बौरा गया दिमाग
सम्बन्धों में ये लगी ,बैरन कैसी आग ?
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