हे! अम्बिके जगदम्बिके - हरिगीतिका छंद
हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।
आद्या जया दुर्गा स्वरूपा, शक्ति का
आधार हो।
शिव की प्रिया नारायणी, हे!,
ताप हर कात्यायिनी।
तम की घनेरी रैन बीते, मात बन
वरदायिनी।।।
भव में भरे हैं आततायी, शूल तुम
धारण करो।
हुंकार भरकर चण्डिके तुम, ओम उच्चारण
करो।
त्रय वेद तेरी तीन आँखें,
भगवती अवतार हो।
हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व
पालनहार हो।
कल्याणकारी दिव्य देवी, तुम सुखों
का मूल हो।
भुवनेश्वरी आनंदरूपा, पद्म का तुम
फूल हो।
भवमोचिनी भाव्या
भवानी, देवमाता शाम्भवी।
ले लो शरण में मात ब्राह्मी, एककन्या
वैष्णवी।।
काली क्षमा स्वाहा स्वधा तुम, देव तारणहार
हो।
हे अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व
पालनहार हो।
गिरिराज- पुत्री
पार्वती जब, रूप नव धर आ रही।
थाली सजे हैं धूप, चंदन,
शंख ध्वनि नभ छा रही।|
देना हमें आशीष माता, काम सबके आ
सकें।
तेरे चरण की वंदना में, हम परम सुख
पा सकें।।
दे दो कृपा हे माँ जयंती, यह सुखी
संसार हो|
हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व
पालनहार हो।
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