दोहे
रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
महल बेहया हो गए , करते हैं परिहास । ।
2
दीमक फ़सलें चट करें ,घूम
-घूम घर द्वार ।
गाँव- नगर लूटे सभी, लूटे
सब बाज़ार । ।
3
इज़्ज़त लुटी गरीब की , लूट
लिया हर कौर ।
डाकू तो बदनाम थे , लूटे कोई और । ।
4
पोथी से डरकर छुपा , जेबों में कानून ।
जिसकी जेबें हों भरी ,
उसको चढ़े जुनून । ।
कर्ज़ चढ़ा हल तक बिका, बिके
खेत खलिहान ।
दो रोटी की भूख थी, सिर्फ़
बचा अपमान । ।
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