कमला निखुर्पा
1
आशीष हाथ
धरा मेरे सर पे
घनी छाँव पा
पुरसुकून हुई
भरी दुपहरी भी ।
2
दूर से आई
नेहिल पुरवाई ।
चहके पंछी
झूमा तरु- मन ये
नन्ही कली भी खिली ।
-0-
कमला निखुर्पा
1
आशीष हाथ
धरा मेरे सर पे
घनी छाँव पा
पुरसुकून हुई
भरी दुपहरी भी ।
2
दूर से आई
नेहिल पुरवाई ।
चहके पंछी
झूमा तरु- मन ये
नन्ही कली भी खिली ।
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