पथ के साथी

Monday, April 26, 2021

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कमला निखुर्पा

1

आशीष हाथ

धरा मेरे सर पे

घनी छाँव पा

पुरसुकून हुई

भरी दुपहरी भी ।

2

दूर से आई

नेहिल पुरवाई ।

चहके पंछी

झूमा तरु- मन ये

नन्ही कली भी खिली ।

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