पथ के साथी

Sunday, February 1, 2015

लघु कविताएँ



लघु कविताएँ  - डॉ सुधा गुप्ता
1-घर
तिनके, धागे
कतरन , पर
नन्ही चिड़िया ने
बना लिया
घर ।
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2-रात माँ

बड़ी  , परेशान  थी
रात -   माँ
सर्दी     खा   जाएँ    कहीं 
शरारती  बच्चे   तारे
कोहरे   का  कम्बल     ओढ़ा कर
ऊँचे   पलँग   पर 
बैठा    दिया   हैं
-0-
3-हमजोली

कोहनी   तक
चूड़ियों  भरे  हाथ  लिये 
वोगनविला
खिलखिलाती  हैं 
पास   बुलाती  हैं  ,
खुरदरे   गात
हेमन्त  ठिठुरे  पात
हम जोलियों  की
खिल्ली  उड़ाती   हैं ।
     -0-
4-सिर्फ़ एक धुन

उदासी  में  डूबी    सुबह
उदासी   में   भीगी   शाम
उदासी   का  जाम
ज़िन्दगी   की  बाँसुरी    पर
 सिर्फ़   एक  धुन   
 बजती    हैं
SS     तेरा  नाम ।
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5- तपिश  और  आग

दिल के    आतिशदान  में
चटख़ती      यादों ! 
तपिश तो    ठीक      है,   सही  जाएगी
उफ़ !  आग  ऐसी !
मत  बनो  बेरहम    इतनी
मेरी दुनिया   जल ही   जाएगी !
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6-दो  पल  में
कहाँ- कहाँ   हो   आया  मन
दो  पला   में
क्या- क्या   पाया
खो   आया  मन
दो    पल में 
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7-इन्तज़ार
इन्तज़ार्……
पलकों     पर  काँपते  
आँसुओं   की बन्दनवार
कि /  पुतली    की   रोशनी   में
झिलमिलाते /दीयों   की   क़तार 
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8-दस्तक
स्वीटपीज़  की  गंध
धीमे धीमे/ हवा  पर  बैठ
सरसराती/   आती  हैं
कोई   महक   भरी   याद
हौले हौले
मेरे  दिल  का दरवाज़ा   
थपथपाती  हैं
, नहीं   खोलूँगी !
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9-फाँस 
बदल गया मौसम 
 फूल  गए
अमलतास
करक  गई  / ज़ोर  से
फिर   कोई  फाँस
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10-चोट 

सुबह-सवेरे
कोयल बोली /  कहाँ  पी का  गाँव
मौसम-बहेलिया
मँजे   खिलाड़ी-सा
फेंक  गया   दाँव
टप   से गिरी   मैं 
चोट  खाई    चिड़िया-सी   
बाज़ी    फिर
उसके    हाथ रहेगी !!
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11-मृग- जल
हौले से
तुमने/   तपता  मेरा  हाथ
छुआ,   और पूछा -
अब कैसी हो?
  झपकी   आई   थी  !
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12-सान्त्वना
फूल
मुझे   बहलाने   आए
मेरे  पास   बैठ कर
 हिचकी   भर-भर
रोने  लगे 
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13-   सिसकी 

  बहुत   देर  रो रो  कर
  हलकान  हो-हो कर  
 सो  जाए/    कोई  बच्चा
काँधे लग कर 
तो/   नींद  में
जैसे    बार- बार
उसे   सिस की  आती   है,
ऐसे 
मुझे   तेरी  याद   आती  है
-0-