पथ के साथी

Tuesday, July 16, 2024

1424

 उफ

 रश्मि 'लहर'


 
रहती नहीं जवानी देख

नदी भी माँगे पानी देख

 

उम्र गुजरती चुपके-चुपके

रहती एक निशानी देख

 

पुतले दो मिट्टी के मिलके

गढ़ते नई कहानी देख

 

झिड़की तल्खी तोड़ रही है

मरता आँख का पानी देख

 

चकनाचूर किए जाती है

तोड़े रिश्ते बानी देख

 

मेरी मुश्किल मेरी मुश्किल

तू अपनी आसानी देख

 

तन छूने को ये जग हाजिर

बंध पे आनाकानी देख

 

जो सीखा उससे सीखा है

दुआ बनी है नानी देख

 

एक किनारा दे दे इसको

कश्ती हुई पुरानी देख

सपनों के कल फूल खिले थे

अब आँखों का पानी देख

 

आँखों में ये हुआ तमाशा

बुझा आग से पानी देख

 

साहिल ही है सच्चा साथी

लहर है आनी जानी देख

-0-

रश्मि 'लहर', इक्षुपुरी कॉलोनी, लखनऊ-226002