यादें - सुनीता शर्मा
सब रिश्तों में खास हो तुम
मेरे दिल के पास हो तुम
सब रिश्तों में खास हो तुम
मेरे दिल के पास हो तुम
तेरी फकीरी ही अमीरी लगे
मेरे मन के उपवास हो तुम
दूर कितने भी जाओ मगर
जीवन का आभास हो तुम
मन मंदिर में खामोश सफर
यादों के विश्वास हो तुम
तारों को गिनूँ रात भर पर
टूटते तारों के खास हो तुम
लम्हे गमों के काट लेंगे गर
जीवन- श्वास की आस हो तुम
दुनिया की बढ़ती चकाचौंध में
बुझते दिए का उजास हो तुम
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क्षणिकाएँ -मोक्षदा शर्मा
कुछ लोगों ने
वृक्षों को
तो कुछ ने पहाड़ों को
काट दिया ....
एक सदी को ,
एक बदी नें
समय से पहले ,
बहुत कुछ बाँट दिया ।
तो कुछ ने पहाड़ों को
काट दिया ....
एक सदी को ,
एक बदी नें
समय से पहले ,
बहुत कुछ बाँट दिया ।
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2- ऊँची उड़ान
नभ पर
जो ऊँची उड़ान भरते हैं
दाना पाने के लिए
वो भी
धरती पर उतरते हैं ।
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3-भूल
न जाना
मेट्रो - सी गति लिये
भाग रहे हो
जो उस महानगर ,
भूल न जाना उन्हें
जो तकते
तुम्हारी राह
गाँव के छोटे से घर ।
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