गुंजन अग्रवाल
हो न कठपुतली न केवल वोट वाला यन्त्र हो।
आदमी हो आदमी सद्भाव इसका मन्त्र हो।
गूंज वन्देमातरं की गूँजती हरपल रहे-
तब सफल सच मायनों में ये दिवस गणतंत्र हो।
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अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन इतना ध्यान रखो।
भारत माँ की आन- बान और सबसे ऊपर शान रखो।
तू- तू मैं- मैं हाथापाई आपस में कर लो जितना-
भारत मे गर रहना तुमको संविधान का मान रखो।
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