रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
तेरी दुआएँ
महसूसती मेरी
रक्त -शिराएँ
2
ओस की बूँद -
बरौनियों की नोक
उलझे आँसू
3
तुम्हारा मन
व्याकुल क्रौंच जैसा
करे क्रन्दन
4
बची है आस-
कभी न कभी तुम
आओगे पास
5
गए हो दूर
यादों का रात-दिन
जलता तूर1
6
तुम्हारी भेंट
रख ली सँजोकर
प्राण हों जैसे
7
सपना टूटा
हाथ जो गहा था
हमसे छूटा
8
सपने बाँटे-
जितने थे गुलाबी,
बचे हैं काँटे
9
फूल हैं झरे
सपने सब मरे
साँझ हो गई
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