पथ के साथी

Monday, November 6, 2023

1385

 सुकून

स्वाति शर्मा

 


सुकून की खातिर

घर से दूर आ गए

अपने छोड़े,

रातों के सपने छोड़े

जीवन में तन्हाई

गमों में गहराई,

ना खाने का होश

ना पीने की सुध

बस चलते जा रहे

पाई- पाई जोड़ रहे

दोस्ती टूटी

रिश्ते छूटे

बस इक सुकून की खातिर

 

सबसे दूर आ गए

सुकून की खातिर

घर से दूर आ गए।

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