सुकून
स्वाति शर्मा
सुकून की खातिर
घर से दूर आ गए
अपने छोड़े,
रातों के सपने छोड़े
जीवन में तन्हाई
गमों में गहराई,
ना खाने का होश
ना पीने की सुध
बस चलते जा रहे
पाई- पाई जोड़
रहे
दोस्ती टूटी
रिश्ते छूटे
बस इक सुकून की खातिर
सबसे दूर आ गए
सुकून की खातिर
घर से दूर आ गए।
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