पथ के साथी

Tuesday, October 7, 2014

सजाये ख़्वाब भी होंगे ,



डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
बड़े रौशन सितारे हैं ,
दुआओं में हमारे हैं ।
निगाहों में थमी गंगा ,
दिलों में तो शरारे हैं ।
नसीहत सिर्फ क्यों मुझको ,
कदम बहके तुम्हारे हैं ।
हक़ीकत है बहुत कड़वी ,
अगरचे ख़्वाब प्यारे हैं ।
चलो बदलें ,कि, समझें क्या ,
इबारत के इशारे हैं ।
2
सजाये ख़्वाब भी होंगे ,
बड़े बेताब भी होंगे ।
अदब की बस इबादत कर ,
अदब ,आदाब भी होंगे ।
गरज कर जो नहीं बरसे ,
वही बेआब भी होंगे ।
खिज़ाओं से नहीं डरते ,
शज़र शादाब भी होंगे ।
कहे किस्से हमारे कल ,
कभी नायाब भी होंगे ।
3
अजब जादू चलाया है ,
कि मौसम मुस्कुराया है ।
तरन्नुम ,गीत है तेरा ,
फ़क़त मैंने सुनाया है ।
मुहब्बत पाक सुनते थे ,
उसी ने अब डराया है ।
बुज़ुर्गों से मिला नुस्खा ,
कभी क्या आजमाया है ।
तुझे फुर्सत कहाँ इससे ,
ये अपना वो पराया है ।
ज़रा उठकर सँभलने दे ,
अभी तो होश आया है ।
हवा, ख़ुशबू,ख़्यालों को ,
जहाँ कब बाँध पाया है ।
हदों को तोड़ बहना क्यों ,
नदी को रास आया है ।
जहाँ से और जिससे भी ,
जो पाया है लुटाया है ।
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