नवगीत
रमेश गौतम
माँ मैं भी
दुनिया देखूँगी
देना दो
नयना ।
मेरा क्या है दोष
पक्ष माँ मेरा सुन लेती
जीवन देने से पहले
क्यों मृत्यु दण्ड देती
मेरा भी है
जन्म जरूरी
माँ सबसे
कहना ।
मेरी भी किलकारी से
गूँजे तेरा आँगन
मैं भी तो जानूँ होता है
माँ कैसा बचपन
राखी का अधिकार
मिले तो
कहलाऊँ बहना
।
सप्तपदी का मतलब
माता क्या रह जाएगा
बिन गुडि़या के गुड्डा कैसे
ब्याह रचाएगा
कन्यादान करो
तो पहनूँ
माँ बिछुए
गहना ।
आहत हल्दी, बिंदिया, चूड़ी
दर्पण का विश्वास
धरती ही न रही
करेगा, क्या केवल आकाश
मेरे बिना सफल
क्या कोई
अनुष्ठान
करना ।
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