पथ के साथी

Sunday, July 24, 2016

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1-सूना आशियाना
        -अनिता ललित 
 किस क़दर सूना हो जाता होगा 
उस चिड़िया का आशियाना …  
उड़ जाते होंगे जब 
उसके नन्हें-नन्हें बच्चे ,
अपने छोटे-छोटे पंख पसारकर ,
किसी नई दुनिया की ओर
अपनी नई पहचान बनाने।
शायद तभी
बुनती है वह, एक बार फिर,
एक नया नीड़ !
और नहीं लौटती
उस घर में अपने … 
कि गूँजती रहती हैं उसमें
यादों की मासूम किलकारियाँ
रीता हो जाने के बाद और भी ज़्यादा
बेपनाह, बेहिसाब … 
दिल को चीरती हुई।

और चलता रहता है ...
यही क्रम सिलसिलेवार। 
बनना, बिगड़ना, टूटना, फिर बनना
कि थकती नहीं वह !
टूटती नहीं वह !
सहते-सहते यह दर्द !
काश! सीख पाते हम इंसाँ भी !
इस दर्द के इक क़तरे को भी,  
दिल में उतारने का हुनर । 
सहते-सहते पीने,... 
पीते-पीते गुनगुनाने का फ़न !  
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 2-हार मानो न तुम
          -डा.मधु त्रिवेदी
गूढ़ रहस्य हमें यह पढ़ाने लगी
बात कोई पते की बताने लगी

गलतियों से सभी लोग लो सीख अब
हर कदम पर हमें यह सिखाने लगी

आसमाँ में पंखों को लगा कर उड़े
रोज सपने नये ही दिखाने लगी

प्यार का पाठ सबको पढ़ा रोज ही
हर सुबह शाम हमकों रिझाने लगी

हार मानो न तुम आज समझा रही
वो बना आज बच्चा हँसाने लगी
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