पथ के साथी

Tuesday, May 1, 2012

जीवन -राग ( हाइकु)



रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
धोखा दे नेता
लुटती है जनता
ठौर न  मिले ।
2
खा गए देश
गरीब बदहाल
कौर न मिले ।
3
हरे न भूख
आँकड़ों का खेल
चिढ़ाता रोज़ ।
4
भोर समीर
परसे जब तन
हरसे मन ।
5
कितनी पीर !
कोकिल हो अधीर
दिल दे चीर
 6
जीवन -राग
लगता जब दाग़
गूँजे संगीत
7
कच्ची कली-सी
कच्ची नींद जो टूटे
सपने रूठे
8
जीवन-नैया
तूफ़ानों में जो घिरी
छूटे किनारे
9
नहीं कुसूर
हम हैं कोसों दूर
मन के पास