रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
बहुत असर अपनों की दुआओं में होता ।
ज्यों खुशबू का झोंका हवाओं में होता । ।
2
पहाड़ों से टकराकर सदा जो पार
जाता है ।
अपनों से वह मुसाफ़िर सब जंग
हार जाता है । ।
3
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
जबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले । ।
-0-