पथ के साथी

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Tuesday, March 9, 2021

1059

  1-कृष्णा वर्मा 

स्त्री

 

प्रेम से उद्वेलित हूँ


तो विष से भी हूँ लबरेज़

राग द्वेष आक्रोश

सब समाहित हैं मुझमें

यूँ न देख मुझे

नहीं हूँ 

निरीह निस्सहाय -सी

सदियों से सींच रहा है

मेरा अनुराग तेरे प्राण 

संपूर्ण हूँ स्वयं में

मैं किन्हीं दुआओं और

मन्नतों का परिणाम नहीं

और न ही किसी पीर की दरगाह के

ताबीज़ का असर हूँ

बेकद्री और मलाल से सिंचा 

बड़ा पुख़्ता वजूद हूँ मैं

ग़ज़ब की है जिजीविषा मेरी

तभी तो पी लेती हूँ सहज ही 

सारी तल्ख़ियाँ और कठोरता 

यूँ भी कड़वा कसैला पीना

किसी साधारण जन के बस की बात नहीं 

जानती हूँ समय से आँख मिलाना 

तभी तो जी लेती हूँ

लम्बी उम्र तक 

बिना किसी करवाचौथ के सहारे के।

-0-

2-ऋता शेखर 'मधु'

1

तन मन से रहे


हरदम घर में रत

तभी तो संसार में

नाम पड़ा औ-रत।

2

चकरघिन्नी देखने को

इधर उधर न झाँको

दिख जाएगी घर में ही

नजर खोलकर ताको।

3

भोर की लालिमा में

पूजा का आलोक है

महिला के जाप में

गायत्री का श्लोक है।

4

छोड़ रहा छाप है

पाँव का आलता

बिछड़न का दुःख

बेटी को सालता।

5

महिला की महिमा

ईश्वर भी जानते

शक्ति के रूप में

दुर्गा को मानते।

6

जब जब पड़ा है

त्याग का काम

पुरुषों ने कर दिए

महिलाओं के नाम।

7

जिसके आँचल पर टिकी

इस सृष्टि की आशा

लिख सका है कौन

उसकी परिभाषा।

8

जिसके आँचल में बँधी

दो कुलों की मर्यादा

माप सका न धीर कोई

राजा हो या प्यादा।

9

नारी को स्वीकार नहीं

बनना चरणों की रज

वक्त की पुकार पर वह

मुट्ठी में बाँध रही सूरज।

10

शीतल छाँव को खोजने

दुनिया सारी घूम आया

खुद को अज्ञानी समझा

जब आँचल माँ का पाया।

11

जिससे घर, घर लगता है

रखते उससे ही गिला

महिला को भी चाहिए

उसके काम का सिला।

-0-

3-परमजीत कौर 'रीत', 

   दोहे

1


पोथी में मिलती नहीं
, जीवन की हर बात 

चिड़िया! पढ़ना सीख ले, चहरों के हालात।।

2

चिड़िया के पर कतरके, खोल दिये सब पाश ।

बोला माली आज से, तेरा है आकाश ।।  

3

चिड़िया! चलना सँभलके, भरनी पड़े न आह ।

तलवारों की धार है, तेरी जीवन-राह ।।

4

साँकल तेरे पाँव में, दूर भले आकाश ।

अरी! चिड़कली किन्तु तू , होना नहीं निराश ।।

5

दफ्तर-घर-परिवार में, सपनों का संसार ।

धार रही हैं नारियाँ, चतुर्भुजा अवतार ।। 

5

घर बाहर की दौड़ में, छूटे एक न काम

ढूँढ रही है मानवी,  जीवन सुबहो-शाम ।। 

-0-

Saturday, October 17, 2020

1028-वन्दना

 हे! अम्बिके जगदम्बिके - हरिगीतिका छंद

ऋता शेखर 'मधु'

 

 हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।

आद्या जया दुर्गा स्वरूपा, शक्ति का आधार हो।

 

शिव की प्रिया नारायणी, हे!, ताप हर कात्यायिनी।

तम की घनेरी रैन बीते, मात बन वरदायिनी।।।

भव में भरे हैं आततायी, शूल तुम धारण करो।

हुंकार भरकर चण्डिके तुम, ओम उच्चारण करो।

त्रय वेद तेरी तीन आँखें, भगवती अवतार हो।

हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।

 

कल्याणकारी दिव्य देवी, तुम सुखों का मूल हो।

भुवनेश्वरी आनंदरूपा, पद्म का तुम फूल हो।

भवमोचिनी भाव्या भवानी, देवमाता शाम्भवी।

ले लो शरण में मात ब्राह्मी, एककन्या वैष्णवी।।

काली क्षमा स्वाहा स्वधा तुम, देव तारणहार हो।

हे अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।

 

गिरिराज- पुत्री पार्वती जब, रूप नव धर आ रही।

थाली सजे हैं धूप, चंदन, शंख ध्वनि नभ छा रही।|

देना हमें आशीष माता, काम सबके आ सकें।

तेरे चरण की वंदना में, हम परम सुख पा सकें।।

दे दो कृपा हे माँ जयंती, यह सुखी संसार हो|

हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।

-0-

गीत सुनने के लिए नीचे लिखे अर्चना चावजी के नाम को क्लिक कीजिए-

        अर्चना चावजी 


 


Wednesday, November 30, 2016

693



1-नहीं होता  -डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर।


अश्कों का आजकल कोई दाम नहीं होता।
दिल टूट भी जातो कोहराम नहीं होता।।

परदेस में जाकर वो हो गया है निकम्मा ;
देश में आकर फिर उससे काम नहीं होता।।

बाट जोहते-जोहते माँ दिखती है पत्थर;
अखियों के नूर का अब पैगाम नहीं होता।।

विष बेल बीजकर लूट लिया अपना ही देश;
आतंकवादियों का कोई राम नहीं होता।।

भाषण देते और जो सिर्फ बातें ही करें ;
उन नेताओं सा और बदनाम नहीं होता।।

झकझोर दिया भारत की नस-नस को पाक ने;
बिना बात किसी का कत्लेआम नहीं होता।।

छीनते हैं जो औरों के मुँह से निवाला;
पूर्णिमामें उन लोगों का नाम नहीं होता।।

-0-
2-गीतिका- डॉ.पूर्णिमा राय,अमृतसर
दुनिया में सबका ही खून लाल होता है।
फिर भाई-भाई में क्यों बवाल होता है।।

खनक चंद सिक्कों की नित बढ़ती ही जाए;
माँ-बापू के रहते  इंतकाल होता है।।

बढ़ने लगी नफरतें मिटने लगा है प्यार ;
टूट रहे नाज़ुक रिश्ते मलाल होता है।।

जमाखोर करते देखो कंजूसी कितनी ;
जेब भरी नोटों से बुरा हाल होता है।।

अपने हाथ हुनर से जो जीतेगा दुनिया;
भारत माँ का सच्चा वही लाल होता है।।

भिखमंगों का जीवन देखो वे भी इन्साँ;
सुनो 'पूर्णिमा' उनका भी सवाल होता है।।