पथ के साथी

Tuesday, February 16, 2021

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 1-अनिता ललित

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तारों की छाँव


फूलों का आशियाना
चाँद का साथ
चाँदनी का तराना~
सब हैं साथ
फिर क्या बात!
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2-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

 

बड़े जतन से

जीवन भर जो, बाँधी थी

बीच बाट में-

गठरी अपनी छूट गई ।

 

डोर बाँध हम

छत को छूने वाले थे

संगी -साथी

कुछ तो दिल के काले थे

किसने काटे

छोर कि डोरी टूट गई ।

 

हम गगरी में

भरकर गंगाजल लाए

‘घट पापों का’

कहकर कुछ थे चिल्लाए

सबने फेंके

पाथर गगरी फूट गई ।

 

घर-द्वार छिना

छाँव नीम की, बाट छुटी

बेचा सबने

हमको जिसमें हाट लुटी

मिली शराफ़त

वही हमीं को, लूट गई ।

 

काज़ी तुम हो

दण्ड हमारे नाम लिखो !

भोर उन्हें दो

हमें आखिरी शाम लिखो

अपना क्या दुख

हमसे क़िस्मत रूठ गई ।

-0-