पथ के साथी

Saturday, January 28, 2023

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1-नारी तुम क्या हो?

डॉ. सुरंगमा यादव

 



 नारी तुम देवी हो, ममता हो

 त्याग हो, समर्पण हो, धैर्य हो, क्षमा हो

 प्रतिष्ठित कर दिया नारी को

एक ऊँचे सिंहासन पर

 और लगा दिया अपेक्षा-उपेक्षा का

 एक बड़ा-सा छत्र

 अपने सपनों को समझो पराली

 सींचती रहो औरों के सपने

 अन्यथा प्रश्न चिह्न है तुम पर

 त्याग के लि तुम देवी हो, पूज्या हो

वासना के लिए फूल हो, सुकोमल हो

 जब मन भर गया तो माया हो

 पुरुष के अहं के आगे तुम

 अबला हो, अज्ञानी हो

 अपमान का घूँट पीने के लिए

 धैर्य हो, क्षमा हो

 अपनी सुविधानुसार नर समाज

 चिपका देता है विशेषण तुम पर

 और भूल जाता है

 नारी देवी है, तो उसका अपमान क्यों?

 अगर वह अबला है तो

 कैसे दुख के पहाड़ काटकर

 रास्ता बना लेती है

 अपनी विशेषताओं का बखान

बहुत सुन चुकी नारी

 अब उससे अपना मूल्यांकन

 स्वयं करने दो

 उसके लिए क्या होना चाहिए

 उसे स्वयं चुनने दो।

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2-मौसम का गीलापन

प्रियंका गुप्ता

 


बर्फ़ पिघली है

पहाड़ों पर

धूप चटख थी

ढलानों पर बहता पानी 

उसकी आँखों में आ समाया

जाने कैसे

जाते मौसम का गीलापन

अब भी बाकी था 

किसी धूप से

सूखेगा क्या ?

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3-मनोभाव 

भीकम सिंह 

 


आड़ा

और तिरछापन 

फँसा रहा जीवन में 

 

सीधा हुआ नहीं 

मैं रहा हमेशा 

सीधेपन में 

 

मन को मिले 

चिंता के, ताने- बाने

अपनेपन में 

 

तुम मानो या ना मानो

ये मनोभाव होते ही हैं 

नश्वर तन में ।

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