पथ के साथी

Thursday, March 8, 2012

मेरे सूरज (चोका )


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

मेरे सूरज
बादल तो आएँगे
घुमड़कर
अम्बर में छाएँगे
रोकें उजाला
तुम्हें सहना होगा
लहर बन
चट्टानों से टकरा
बहना होगा
पीछे नहीं मुड़ना
दूर है जाना
अँधेरे भँवर से
न घबराना
सागर तक जाना
आँसू पोंछके
डुबकी  है लगाना
मोती बटोर लाना  ।
-0-