गुंजन अग्रवाल (अनहद गुंजन )
युगों- युगों तक जग
में इसकी सदा निराली शान रहे।
मैं रहूँ यहाँ या नही
रहूँ ,पर कायम हिंदुस्तान रहे।
बच्चा -बच्चा राम
कृष्ण हो बाला सीता राधा हो।
राहें सुगम सभी की हों
पथ नही किसी के बाधा हो।
आँसू नही दिखे आँखों
में अधर खिली मुस्कान रहे।
में रहूँ रहूँ या नही रहूँ..........................1
हिमगिरि ताज नाज- सा
सिर पर गंध केसरी घाटी हो।
बलिदानों को तत्पर
रहती राणा की परिपाटी हो।
कण -कण जिसका चन्दन
जैसा गर्वित हिंदुस्तान रहे।
मैं रहूँ यहाँ या नही
रहूँ..........................2
भेद नही हो दिल में
कोई अधर प्रेम की बोली हो।
गले ईद के मिलती अपनी
रंगीली -सी होली हो।
अनहद गुंजन गूँज
मन्त्र ध्वनि घुलती कान अजान रहे।
मैं रहूँ रहूँ या नही
रहूँ...........................3