पथ के साथी

Thursday, February 23, 2012

उदास न होना



-रामेश्वर काम्बोज ‘ हिमांशु

बहुत हैं बादल
घिरे अन्धेरे
उदास न होना
तुम चाँद मेरे।

आशा रखोगे
बादल छँटेंगे
दु:ख भी घटेंगे
होंगे सवेरे ।
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अकेली छुअन
भिगो देगी मन
सींचेगी प्राण
द्वारे तुम्हारे ।

तेरा दु:ख सहूँ
मैं किससे कहूँ-
दे दो सभी दु:ख
मुझको उधारे।

लहरें तरसतीं
तट को परसतीं
ग्रहण लगा चाँद
सागर निहारे ।
-0-