पथ के साथी

Tuesday, June 11, 2019

908-ख़ौफ़ ज़रूरी है



भावना सक्सैना

प्रेम हो, दोस्ती हो,
भाईचारा रहे,
लेकिन इस जहाँ में
ख़ौफ़ भी ज़रूरी है।
आदमी को आता नहीं
शऊर बिना ख़ौफ़ के,
आदमी इंसान रहे 
इसलिए ख़ौफ़ ज़रूरी है।
कानून को चाहिए 
कि खाल खिंचवा ले
सरेआम, गुनहगारों की,
बालों से लटकाए
नाखून खिंचवा ले
सर कलम हों चौराहों पर
या मिले फाँसी वहीं
अंजाम हो कुछ भी मगर
ख़ौफ़ जरूरी है
ख़ौफ़ तो ज़रूरी है।
मोहब्बत में अक्सर
हो जाता है धोखा
सोचे सौ बार कोई
जहालत से पहले
न टूटे भरोसा 
ईमान रहे कायम
बस इसीलिए जहाँ मे
खौफ़ ज़रूरी है