विजय जोशी
- जब भक्ति भोजन में
प्रवेश करती है,
भोजन प्रसाद बन जाता है।
- जब भक्ति भूख में
प्रवेश करती है,
भूख तेज़ हो जाती है,
- जब भक्ति जल में प्रवेश
करती है,
जल चरणामृत बन जाता है।
- जब भक्ति यात्रा में
प्रवेश करती है,
यात्रा तीर्थयात्रा
बन जाती है,
- जब भक्ति संगीत में
प्रवेश करती है,
संगीत कीर्तन बन जाता है।
- जब भक्ति घर में प्रवेश
करती है,
घर मंदिर बन जाता है,
- जब भक्ति कर्म में
प्रवेश करती है,
क्रियाएँ सेवाएँ बन जाती हैं।
- जब भक्ति कार्य में
प्रवेश करती है,
काम बन जाता है कर्म,
और
- जब भक्ति मनुष्य में
प्रवेश करती है,
इंसान इंसान बन जाता
है।