डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
जी पी खन्ना के सौजन्य से |
कण-कण
मुग्ध करे मन-मानस
बहे प्रेम
की धारा !
जय जनतंत्र
हमारा ! जय जनतंत्र हमारा !
उन्नत
मस्तक शिखर हिमालय
मात वैष्णों
,अमर शिवालय
सुंदर
झील, नदी-नद न्यारे
श्री
,कश्मीर सभी को प्यारे
हिम कण
बरसें, कहीं मोहता
फूलों
भरा शिकारा
जय जनतंत्र
हमारा ! जय जनतंत्र हमारा !
फूलों
की घाटी मन भावन
सागर
तीर्थ सुपूजित पावन
राम
,कृष्ण से धन्य धरा है
बुद्ध
,विवेक ,महावीरा है
पाठ अहिंसा
का देकर फिर
अप्पो
दीप पुकारा
जय जनतंत्र
हमारा ! जय जनतंत्र हमारा !
गाँधी
और सुभाष वीर ने
सुख
,बिस्मिल,आज़ाद धीर ने
भगत सिंह
,झाँसी की रानी
कितने
ही अनगिन बलिदानी
सुत अश्फ़ाक
,अब्दुल हमीद ने
अपना
जीवन वारा !
जय जनतंत्र
हमारा ! जय जनतंत्र हमारा !
वेदों
का विज्ञान न भूलो
भाभा
और कलाम न भूलो
दुर्गा
,इन्दिरा और सुनीता
हुई कल्पना
परम पुनीता
सकल जगत
में धूम ,तिरंगे-
का सम्मान
सँवारा !
जय जनतंत्र
हमारा ! जय जनतंत्र हमारा !
~~~~~~ॐ~~~~~~