पथ के साथी

Sunday, June 7, 2020

1002


1- कृष्णा वर्मा
वक़्त


ग़ज़ब का हुनरमंद है वक़्त
लम्हा-लम्हा
ख़ारिज़ करता है तुम्हें तुम से
मजाल है जो होने दे कभी
देह को इसका अहसास।
बूँद-बूँद रिसती जाती है उम्र
तुम्हारी होंद से
उस पर कमाल कि
कोई नामोनिशान नहीं टीस का।
आशाओं की सुरीली सरगम में
कब बज उठे अशंकाओं  के
बेसुरे तार
यह तो जाने वही कारसाज़।
वाह रे नागर
कभी सांत्वनाओं की थपकी देके
कर देता है उत्सवी जीवन
और कभी
ज़मीन ही निकाल लेता है
पग तल से।
जिंदगी फिर भी झूलती रहती है
पैंडुलम सी
उम्मीदों और दिलासों के बीच।
अनजाने में जीती
पल-पल हलाल होती ज़िंदगी
कब रख पाती है 
उम्र का हिसाब।

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2- सत्या शर्मा 'कीर्ति'
 प्यार मुझे तुम करना ऐसे

मूँगफली के दानों हो जैसे
काजू अख़रोट भरे हो वैसे
अमरू-सा भी स्वाद मिला हो
प्यार मुझसे तुम करना ऐसे ।।

थोड़ा बादल भी  छाया हो
रिमझिम पानी भी बरसा हो
सोंधी मिट्टी की खुशबू हो जैसे
प्यार मुझसे तुम करना ऐसे ।।

भाव मनाने के न आते मुझको
रूठना भी नहीं भाता तुझको
दौड़ते - भागते रहें संग दोनों
प्यार मुझे तुम करना ऐसे।।
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