अनिता ललित
1
मेरी दूर की नज़र कमज़ोर,
पास की सही !
तुम्हारी पास की नज़र कमज़ोर,
दूर की सही !
तो चलो फिर !
तुम दूर की ज़िन्दगी सँवार लो...
मैं पास की ज़िन्दगी सँवार लूँ...
अपने 'साथ'
के सफ़र को
ख़ूबसूरत बना लें हम ...!!!
2
जब भी मेरे
दिल में कोई तूफ़ानी लहर उठती है...
मेरी नज़रें
तुम्हें तलाशती हैं...
हाथ
तुम्हारा थामकर
मैं सुकून
से खुद को उस लहर के हवाले कर देती हूँ...
तुम्हीं
मेरी कश्ती, तुम्हीं पतवार..
तुम साथ हो
जब...
मुझे डूबने
का कोई डर नहीं...
3
जब तुम पास
होते हो ...
सबकुछ
उजला-उजला लगता है,
मैं भरी-भरी
होती हूँ … !
जब तुम पास
नहीं होते...
सबकुछ
फीका-फीका हो जाता है ,
और मैं.…
बिलकुल रीती
हो जाती हूँ ....
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