पथ के साथी

Wednesday, June 15, 2016

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ज़िंदगी मुस्काएगी-डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण'

ज़िन्दगी उलझाओगे तो,बस उलझती जाएगी!
मुस्कुराओगे अगर तुम,ये ज़िंदगी मुस्काएगी!!

मुश्किलें आएँगी हरदम,बस जूझना होगा तुम्हे,
जितना मुश्किल से डरोगे,उतना ही ये डराएगी!!

मंजिल स्वयं आती नहीं,ये खूब रखना याद तुम,
जब पाँव चलते जाएँगे,मंजिल स्वयं आ जाएगी!!

जिस ने भी डर के छोड़ दी है, डोर आशा की यहाँ,
कोई दवा उसको कभी, जीवित नहीं कर पाएगी!!

पाँव  से विकलांग है गर, तो  दोष  तेरा  है कहाँ?,
साहस जुटाले दिल में तू,मंजिल तेरी मिल जाएगी!!

सब को ही जाना है एक दिन, कौन रहता है यहाँ?
उपकार कर लेगा अगर, तो  याद  जग को आएगी!!
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डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा "अरुण"
पूर्व प्राचार्य,
74/3,
न्यू नेहरु नगर,
रूडकी-247667