1-डॉ0 कविता भट्ट
रात का रोना तो बहुत हो चुका ,
नई भोर की नई रीत लिखें अब।
नहीं ला सकता है समय बुढ़ापा ,
युगल पृष्ठों पर हम गीत लिखें अब ।
नहीं हों आँसू हों नहीं सिसकियाँ,
प्रेम-शृंगार और प्रीत लिखें अब।
दु:ख- संघर्षों से हार न माने ,
वही भावाक्षर मन मीत लिखें अब।
समय जिसे कभी बुझा
नहीं पाए
हम वह जिजीविषा पुनीत लिखें अब
कभी हार न जाना ठोकर खाकर,
पग-पग पर वही उद्गीत लिखें अब।
काल -गति से कभी बाधित न होंगे
आज कुछ इसके विपरीत लिखें अब।
यही समय हमारा नाम लिखेगा ,
सोपानों पर नई जीत लिखें अब।
-0-[हे0न0ब0गढ़वाल विश्वविद्यालय,श्रीनगर (गढ़वाल),उत्तराखण्ड]
2-सुनीता काम्बोज
नए साल में, नई धुनों पर
नए तराने गाएँगे
आगे बढ़ते जाएँगे
लक्ष्य निर्धारित कर अपना
दृढ़ निश्चय से बढ़ते जाना
आशाओं की
पकड़ी डोरी
घोर निराशा से टकराना
जिसे ज़माना याद करेगा
काम वही कर जाएँगे
नए---
मुरझाए रिश्तों में साँसें
भरने का दम रखते हैं
ठान लिया जो मन में उसको
करने का दम रखते हैं
नई चुनौती नई योजना
ऊर्जा
से भर जाएँगे
नए--
कुछ नूतन किसलय फूटेंगे
सूने मन की डाली पर
जो हैं सूखे ताल ,सरोवर
देंगे अब कर्मों से भर
तम को अपना दास बनाकर ,
नया सवेरा लाएँगे
नए--
-0-