कैनेडियन पंजाबी साहित्य सभा’टरांटो’ द्वारा पंजाबी और हिन्दी के दो प्रसिद्ध विद्वानों डा0 करनैल सिंह थिन्द और रामेश्वर काम्बोज हिमांशु का मान -सम्मान
ब्रैम्पटन : (बलबीर मोमी/डा0सुखदेव झंड) रविवार 18 दिसम्बर को ‘कैनेडियन पंजाबी साहित्य सभा टरांटो’ द्वारा अपनी मासिक-संगोष्ठी में पंजाबी और हिन्दी के दे दो प्रसिद्ध विद्वानों ‘गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के -रजिस्ट्रार और प्रोफैसर हैड (डा0) करनैल सिंह थिन्द और दिल्ली से पधारे प्राचार्य रामेश्वर काम्बोज हिमांशु को उनके द्वारा शिक्षा भाषा , साहित्य और सभ्याचार और लोक साहित्य के क्षेत्र में किए गए योगदान हेतु सम्मान पत्र , घड़ियाँ और शॉल भेंट करके सम्मानित किया।
सभा के आरम्भ में पिछले दिनीं पंजाबी भाषा के दिवंगत कलाकारों औए लेखकों कुलदीप माणक, देवानन्द ,पुष्पा हंस, सवरन चन्दन और गुरमेल मडाहड़ को एक इक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि भेंट की गई। इसके उपरान्त, सभा के प्रधान प्रिंसिपल पाखर सिंह और संरक्षक प्रो0 बलबीर सिंह मोमी नें दोनों विद्वानों का स्वागत करते हुए सदस्यों को उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी दी । । दोनों विद्वानों ने अपने -अपने क्षेत्र में किए गए योगदान के बारे में सभा के सदस्यों को विस्तारपूर्वक बताया । डा0 थिन्द ने अपने व्याख्यान में फोकलोर (लोकसाहित्य) की परम्परा से मिलने वाली जानकारी दी ।उन्होंने कहा कि इसका दायरा बड़ा विशाल है और इसमें लोक-गीत, लोक-धर्म, लोक-बोलियां ,टप्पे, लोककथा , पहेलियाँ लोक-कला, रस्मो-रिवाज, वहम-भ्रम, दवा-दारू, आदि सब कुछ आ जाता है। उन्होंने पंजाबी भाषा को अंगरेज़ी और अन्य भाषाओं के सम्भावित ख़तरे से सावधान होने की बात भी पूरा ज़ोर देकर की।
रामेश्वर काम्बोज हिमांशु ने हिन्दी लघुकथा के बारे में चर्चा करते हुए अपनी पुस्तकों के बारे में तथा हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं खास तौर से पंजाबी में एक दूसरे के सहयोग से हो रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी । । उन्होंने कहा कि आज कम्प्यूटर -साफ़्टवेयर (कन्वर्टर) तैयार हो गए हैं , जिनकी मदद से अलग-अलग भाषाओं के साहित्य को एक लिपि से दूसरी लिपि में बदलना और लिखना-पढना सम्भव हो गया है। उन्होंने अपने कुछ दोहे सुनाए और एक लघुकथा का भी पाठ किया।
सभा के दूसरे सत्र में कई सदस्यों ने अपनी कविताएँ, गज़ल और गीत सुनाए। सभा में महिन्दर दीप ग्रेवाल, श्रीमती दुग्गल, जगीर सिंह काहलों, सुखिन्दर, कर्नल एस 0पी0सिंह , प्रो: मदन बंगा, परमजीत ढिल्लों, अंकल दुग्गल, प्रिंसिपल चरन सिंह भोरशी, मलूक सिंह काहलों, डा0 सुखदेव झंड, तलविंदर मंड, मनजीत झम्मट, गुरदिआल सहोता, श्री ग्रेवाल तथा कई और व्यक्ति उपस्थित थे।