1-डॅा.ज्योत्स्ना शर्मा
1
तुमसे उजियारा है
गीत मधुर होगा
जब मुखड़ा प्यारा है।
2
चन्दन है, पानी है
शीतल, पावन -सी
तस्वीर बनानी है।
3
कुछ नेह भरा रख दो
मन के मन्दिर में
तुम धूप जरा रख दो ।
-0-
मचल रही घनघोर घटा सी नेह सुधा बरसाने को ।
पिहुँ प्यासे चातक बन आना मन मेरा बहलाने को।
हुआ बावरा मन बंजारा दहक रहा मन बंजर है ।
मन आहत चाहत में तेरी व्याकुलता का मंज़र है
पल दो पल को ही आजाते यूँ ही तुम भरमाने को
पिहुँ प्यासे चातक बन आना मन मेरा बहलाने को।
प्रणय-ग्रन्थ नयनो में मेरे खुद नयनों में पढ़ लेना
लेकर अलिंगन मे मुझको खुद को मुझ में गढ़ लेना ।
प्रीति-महक पुरवाई लाई जग सारा महकाने को।
पिहुँ प्यासे चातक बन आना मन मेरा बहलाने को।
मैंने सार लिया है साजन खंजन से नैनों अंजन।
आकर देखो खुद में सिमटी अनहद प्रियतम की
"गुंजन"।
ये जीवन अनबूझ पहेली आजाओ सुलझाने को ।
पिहुँ प्यासे चातक बन आना मन मेरा बहलाने को।
अनहद गुंजन