पथ के साथी

Friday, December 31, 2021

1173-पाठ

 

पाठ

(साल के अंतिम पड़ाव पर पढ़िए 'नवतेज भारती' की अद्भुत प्रेम कविता । पंजाबी से अनुवाद: हरभगवान चावला)

पाठ करते-करते

मैं तुम्हारे साथ बात करने लगती हूँ

पता ही नहीं चलता

पाठ कब सम्पन्न हो जाता है

तुम ख़ुदा से पूछना-

वह मेरा पाठ मंज़ूर कर लेता है?

ख़ुदा कहता है-

सब लोग मेरा पाठ ही करते हैं

काश! पाठ करते-करते

कोई मेरे साथ भी बात करने लगे

'बेचारा'...कहती-कहती ख़ामोश हो गई

रात को फिर सपने में

ख़ुदा ने कहा-

माँग, जो माँगना है

 

तू अंतर्यामी है

तुझे पता है मैं क्या माँगती हूँ

फिर क्यों बार-बार पूछता है?

'शायद भूले-भटके ही

तू उसकी जगह मुझे माँग ले'- ख़ुदा ने कहा ।

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