पथ के साथी

Saturday, May 23, 2020

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 पहले कभी

प्रियंका गुप्ता

पहले कभी
मेरी कमीज़ पर बटन टाँकते
चुभ जाती थी 
उसकी उँगली में सुई
मैं झट उँगली चूस
पूछ लेता था-
"दर्द तो नहीं हुआ?"
वो आज भी मेरी कमीज़ पर
बटन टाँकती है
कौन जाने
चुभती भी होगी सुई अक्सर
पर अब
मोबाइल पर टकटकाती मेरी उँगलियों को
पता ही नहीं चलता कुछ
उँगलियों से उँगलियों की ये दूरियाँ
अब मुझे भी चुभने लगी हैं
सोचता हूँ-
नया सुई-धागा ले आऊँ
और दिल पर टाँक दूँ
ये उधड़े हुए रिश्ते...।
-0-

2-करोना 
 राज महेश्वरी ( कैनेडा)

करो-ना नाम तुम्हारा, लेकिन 
तुमने क्या क्या न किया, कुछ बुरा पर कुछ भला भी  
चलो जान लें थोड़ा-थोड़ा, और सीख लें थोड़ा-थोड़ा 

लोगों को बंद घर-घर में किया
पर जानवरों को कुछ स्वतंत्रता का अवसर दिया  

मनुष्य जाति को सोचने का एक अवसर है मिला 
चाहे सँभले या न सँभले बदलाव तो आएगा  

गंगा-जमुना नदियाँ स्वच्छ हो बहीं  
जीभर स्वतंत्र श्वास लेने योग्य हवा चली  

सैकड़ों कि.मी. दूर स्थित पर्वत शृंखलाएँ 
प्रदूषण से अदृश्य थीं, पुनः उन्हें दृष्टिगोचर कराया

प्रातः काल टहनियों पर बैठ चिड़ियों का चहचहाना  
कर्ण-प्रिय मधुर संगीत के स्वरों का फिर गूँजना 

कहीं-कहीं सड़कों पर जंगली जानवरों का विचरण 
मछलियों का यकायक वेनिस की 
जल-भरी गलियों में प्रकट होना 

प्रकृति की सामर्थ्य का अद्भुत प्रदर्शन 
स्वयं कुछ ही समय में उपचार 
अपना कर दिखाया 
विश्वास नहीं था ऐसा हो सकता था 

स्पष्ट है करोना का सन्देश
दस्तक दे रहा परिवर्तन, द्वार पर खड़ा
पैसा ही सब कुछ नहीं, भौतिक सुख भी नहीं 

स्वास्थ्य और सम्बन्ध ही सर्वोपरि हैं 
स्वास्थ्य और सम्बन्धों के पथ पर ही 
जीवन अग्रसर हो, भटके नहीं 

सम्प्रति करोना से लड़ ही रहे -
भविष्य में भी किसी महामारी से  
हमारा उत्तम स्वास्थ्य सफलतापूर्वक जूझ सके

आवश्यक है, प्रकृति को कुपित न करें 
प्रकृति को जीने दें और खुद भी जिएँ 
पशु, पक्षी और वृक्षों को शत्रु नहीं, मित्र समझें 

प्रकृति और पृथ्वी दोनों ही 
हमारे जीवन के मूल आधार जो हैं