दो अक्टूबर और बापू
बापू ने हमें आज़ादी दी
लेकिन हमने क्या किया
उनका एक एक सपना
सिरे से नकार दिया ।
सिर्फ दो अक्टूबर को
एक दिन माला पहनाकर
उनको याद करने भर से
जिम्मेदारी पूरी नहीं होत। ।
सच में उनको मान देना है तो
चलो आज कसम खाओ,
उनके मूल्यों को जिन्दा करेंगे
समझेंगे और उन पर चलेंगे ।
राजनीति कुर्सी के लिए नहीं
देश हित के लिए करेंगे
अन्याय और भ्रष्टाचार
सहन नहीं करेंगे ।
सत्य और अहिंसा पर
भरोसा करेंगे,
एक दिन में ना सही
पर फल जरूर मिलेंगे ।
जिस दिन हम
ईश्वर और अल्ला को
एक नज़र से देख सकेंगे
उस दिन हम सही मायनों में
बापू के भक्त बनेंगे ।
मंजु मिश्रा