पथ के साथी

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Wednesday, November 14, 2012

बौने दिन


प्यारी गौरैया



डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा

नन्हीं प्यारी गौरैया
रोज़ मेरी खिड़की पर करती
फुदक -फुदककर ता-ता -थैया

कितनी सुबह -सुबह जग जाती
तुम मीठे सुर साज़ सजाती
बजे अलार्म भले मेरा
मुझे समय से आन जगाती
तुम ना हो तो फिर पक्का है
कान खिंचें और मारे मैया

छुट्टी के दिन सोने देना
सुख सपनों में खोने देना
देखो बात बढ़ने पाए
बहुत देर मत होने देना
दाना- पानी दूँगी तुमको
मान करूँगी सोन चिरैया
मेरी प्यारी गौरैया
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