पथ के साथी

Wednesday, September 14, 2016

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1-जय हो हिन्दी की- डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण

हिन्दी का गुणगान करें हम, हिन्दी तो गौरव है अपना!
हिन्दी ने है पाला हम को, हिन्दी है हम सबका सपना!!
आज शपथ लें सारे मिल कर, हिन्दी को हम अपनाएँगे,
हिन्दी है पुरखों की भाषा, जिस ने सिखाया है तपना!!
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2-दिल के रिश्ते, हिन्दी में जिए
भावना सक्सैना

थपकी से सोती थी जब मैं
हिन्दी में सुनती थी लोरी
बाहों के पलने में भी तो
बाँधी हिन्दी ने ही डोरी।

साँसे माँ की, और गीत भी
हिन्दी में ही महसूस किए
दिल के सारे ही रिश्ते भी
हिन्दी में मैंने सदा जिए।

पाठ पढ़ा जब भी अंग्रेजी
हिन्दी ने ही विश्वास दिया
बनी स्नेह पूरित आलम्ब
सब मित्रों का उपहार दिया।।

जब मौन भी बाँचा क ख ग ने
भावों ने भी मृदु तान भरी
तरल प्रेम उतरा नैनों में ।
हिन्दी में जब मुस्कान भरी ।

हिन्दी मन ही मन रही सिखाती
अंग्रेजी थी जब -जब बोली
पग -पग पर साथ निभाया है
सदा रही मेरी हमजोली

हिन्दी लेकर परदेस
दुनिया में सम्मान दिलाया
मेरी रग-रग में भरी स्फूर्ति
हिन्दी में खुद को है पाया।
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3-हिन्दी का पूजन पग-पग है!!
डॉ.पूर्णिमा राय,
1
हिन्दी से तन-मन खिल जाए।
हिन्दी से सब गम मिट जाए।।
हिन्दी भाषा अजर अमर है;
हर भाषा में घुल-मिल जाए।।
2
स्वर व्यंजन हम जब लिखते हैं।
दीप दिलों में तब जलते हैं।।
हिन्दी भाषा के गौरव से ;
विश्व पटल पर जन सजते हैं।।
3
भाषा को सम्मान दिलाएँ
बाल युवा वृद्ध को पढ़ाएँ।।
हिन्दी को समृद्ध करें सभी;
भारत का आँगन महकाएँ।।
4
बोल खड़ी बोली के कहते।
हिन्दी भाषी दिल में रहते।।
भाषा पर अधिकार जमा कर;
नदिया की धारा -सा बहते।।
5
नवरस मीठा गान सुनाएँ
जीने का अरमान जगाएँ।।
भाषा की दीवार तोड़कर;
हिन्द-प्रेम से भवन बनाएँ।।
6
ज्यों चाँद पूर्णिमा जग-मग है।
त्यों हिन्दी भाषा रग-रग है।।
महादेव के वंदन जैसा;
हिन्दी का पूजन पग-पग है।।
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