पथ के साथी
Sunday, June 21, 2009
Thursday, June 18, 2009
महत्त्वपूर्ण पत्रिकाएँ-1
महत्त्वपूर्ण पत्रिकाएँ
शब्दशिल्पियों के
आसपास
सम्पादक : राजुरकर राज
वार्षिक: 60 रुपये
सम्पर्क: एच-3,उद्धवदास मेहता परिसर
नेहरू नगर भोपाल -462003
चलित वार्ता : 09425007710
ई-मेल-shabdshilpi@yahoo.com
यह पत्रिका पूर्णतया साहित्यिक समाचारों के लिए समर्पित है । जून 09 के इस अंक में अगाथा संगमा के हिन्दी में शपथ –ग्रहण को महत्त्व प्रदान किया है ,जो सर्वथा उचित है ।पत्रिका का यह बारहवाँ वर्ष है ।साहित्यिक गतिविधियों के प्रति सजग रहनेवाले पाठकों को यह पत्रिका ज़रूर पढ़नी चाहिए ।
भारतीय वाङ्मय [मासिक]
संस्थापक एवं पूर्व प्रधान सम्पादक
स्व पुरोषत्तमदास मोदी
सम्पादक: परागकुमार मोदी
वार्षिक शुल्क : 50 रुपये
विश्वविद्यालय प्रकाशन ,विशालाक्षी भवन पो बा 1149
चौक वाराणसी -221001[उ प्र]
पिछले दस वर्षों से निरन्तर प्रकाशित हिन्दी तथा
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Monday, June 15, 2009
महत्त्वपूर्ण पत्रिकाएँ
जीवन-मूल्य संरक्षक न्यूज़ मासिक
सम्पादक -डॉ एन के शर्मा
सम्पादन सहयोग-नरेन्द्र कुमार
एक अंक –दस रुपये, वार्षिक -100रुपये
सम्पादकीय कार्यालय
ए-5 बी/7 एस एफ़ एस फ़्लैट्स
पश्चिम विहार, नई दिल्ली -63
-इस पत्रिका के अप्रैल अंक में ‘दिल्ली की लौ : बहन सत्यवती’: ब्रजमोहन, ‘भुखमरी की सवारी बनती मोटरगाड़ी’: पंकज बिष्ट बुज़ुर्गों के लिए अभी बेहतर हैं गाँव:राजकुमार दिवाकर महत्त्वपूर्ण लेख हैं । बिष्ट जी का लेख तो आँखें खोलनेवाला और चौंकानेवाला है । शहीद अवतार सिंह ‘पाश’ की कविता –‘तीसरा महायुद्ध’ बहुत गहरे प्रश्न छोड़ती है । मई अंक में अछूत का सवाल : शहीद भगत सिंह, दो दुनियाओं के बीच स्त्री : मजीद अहमद के लेख, हर्षवर्धन आर्य का विष्णु प्रभाकर पर संस्मरण : और पंछी उड़ गया,अमर गोस्वामी की लघुकथा :प्याऊ ,गोरख पाण्डेय और सुधा अर्पिता की कविताएँ ध्यान आकर्षित करती हैं । सम्पादकीय – ‘जूता फेंकना :जनतांत्रिक मूल्यों का अपमान’ सोचने पर बाध्य करता है कि हमारी भेड़ चाल और दिमागी दिवालियापन हमें कहाँ ले जाकर छोड़ेंगे !मूल्यों का यह ह्रास चिन्तित करनेवाला है । पत्रिका में सम्पादकीय परिश्रम इसे बेहतर बनाए हुए है ।
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आरोह-अवरोह
सम्पादक : डॉ शंकर प्रसाद
साहित्य परामर्शी : डॉ सतीशराज पुष्करणा
आरोह-अवरोह का मई -2009 छठा अंक है । यह अंक ‘श्रम को समर्पित विशेषांक’ के रूप में आया है । इस अंक में ‘बाल श्रम प्रथा के उन्मूलन की दशा और दिशा :डॉ कुमार विमल , ‘बिहार से पलायन’: श्रीकान्त,भूमण्डलीकरण और स्त्री :अनामिका के लेख ध्यान आकर्षित करते हैं ।डॉ बालेन्दु शेखर तिवारी का व्यंग्य , डॉ पुष्करणा और डॉ मिथिलेश कुमारी की लघुकथाएँ, पुस्तक समीक्षाएँ और सम्पादकीय महत्त्वपूर्ण हैं । डॉ यशोधरा राठौर के पाँच गीत जीवन के विभिन्न रंग उकेरने में सक्षम हैं ।
Tuesday, June 9, 2009
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