कविता – ज़िंदगी और मौसम
प्रियंका गुप्ता
बचपन में मैंने
सूरज से दोस्ती की;
जवानी में
चाँदनी रातें मुझे लुभाती रही,
आधी ज़िन्दगी गुज़र गई
मैंने बर्फ़ पड़ते नहीं देखी;
अब
उम्र के इस मोड़ पर
रिश्तों पर पड़ी बर्फ़
पिघलाने के लिए
मुझे फिर
सूरज का इंतज़ार है ।
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