सार / ललित छन्द
1- ज्योत्स्ना प्रदीप
1
चंदा -सी काया हर घर में, बाट चाँद की जोहे ।
निशिकर
आया नभ में देखो ,नयनों को वो सोहे ।
चाँद विभा का खुद प्रेमी हैं, प्रेम न उसका दूजा l
युग बदला हो चाहे कितना, निशिकर सबने पूजा !
2
छलनी लेकर हाथों में प्रिय ,तुमको नैन निहारे l
झरे ओज चंदा से प्यारा, तेरी आँखों वारे l
छलनी से पूजा है तुमको, छन- छन छने अँधेरे l
छलना ना जीवन में सजना, सुख -दुख तेरे -मेरे !
3
दीप -दीप से जग रौशन है, मन में पर अँधियारा,
कोना-कोना मन का चमके , हो ऐसा उजियारा I
अँधियारी रातों को मिलकर, भोर बना लो प्यारी,
नेह
बना लो दिनकर -सा
तुम, हर मन हो सुखकारी।
4
कोमल मन तितली -सा है राहें बड़ी कँटीली,
4
कोमल मन तितली -सा है राहें बड़ी कँटीली,
जिस पर नेह लुटाया मन से, आँखें उस पल गीली,
छल -बल से ना चलता जीवन, जीत तो मन की होती,
टहनी पर कितने काँटे हों, कलियाँ पर ना रोतीं !
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2-अनिता ललित
1.
तुमसे ही माथे का सूरज, सजे माँग में तारे
तुम्हीं आस, विश्वास तुम्हीं हो , तुमसे सपने सारे
दुनिया सारी एक तरफ़ है, तुम प्राणों से प्यारे ।।
2.
चाँद गगन में आज खिला है, केसरिया- सा न्यारा
मेरे मन-आँगन में जैसे, साँवरिया है प्यारा ।
नयनों में है छवि रुपहली , तन-मन मैंने हारा
अर्पित मेरा जीवन प्रियवर , जनम-जनम है वारा ।
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3-पूर्वा
शर्मा
1
शरण तुम्हारी आऊँ
गुरुवर, आशीष सदा पाऊँ ।
राह दिखाते तुम ही पग-पग, और कहाँ मैं जाऊँ ।
बिखरा देते ज्ञान की ज्योति, फिर उजियारा पाऊँ ।
गुरु -शरण से सफल है जीवन, गुरु महिमा
ही गाऊँ ।।
2
मैं ना जानूँ कैसे भाँपे, यह मन ख़ुशबू तेरी ।
तेरे आने से पहले ही, महकीं बातें तेरी ।
तेरे क़दमों की आहट से, थमती धड़कन मेरी ।
प्रेम-गीत की धुन पर देखो, चलतीं साँसें मेरी ।।
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