रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
गिरने
नहीं देना,
धूल
में मिलेंगे
किसके
काम आएँगे !
लाओ
मैं अँजुरी में भर लूँगा
आचमन
कर लूँगा
इससे
बड़ा सुधा-पान नहीं होगा
इस
जनम के वास्ते !
2
जिसने पाया,वह भरमाया
जिसने खोया,वह तो रोया
पाना-खोना,यही है जीवन
आँसू से होता है तर्पण
हम रोते, रोता है दर्पण
।
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