पथ के साथी

Sunday, June 14, 2020

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प्रीति अग्रवाल
1-अनुभूतियाँ
1.
हर लम्हा है मंज़ि, अरे बेखबर !
ये न लौटेगा फिर, इसे ज़ाया न कर !!
2.
कहाँ पहुँचने की जल्दी में मसरू थे
जो फ़ुर्सत मिली, तो अब सोचते हैं...।
3.
मेरी रूह को न बाँधो, थकोगे तुम्हीं
क्या हवाएँ  बँधी हैं या बँधेंगी कभी......!!
4.
आजमाएँगे कब, ये जो अब तक पढ़ा है
क्या इम्तिहानों में ही, ज़िंदगानी कटेगी....?
5.
यूँ पलकों पे अपनी, बिठाना सँभलके...
हमें नज़रों से गिरना, गवारा नहीं है!
6.
बातों का क्या, वो तो कोई भी सुन ले...
जो चुप्पी सुने, सच्चा साथी वही है!
7.
मेरे बारे में कुछ भी, किसी से न कहना
मुझे कोने में दिल के, तुम रखना छुपाके..।
8.
'मैं ठीक हूँ', चाहे सौ बार दोहरा लूँ.....
तुम पकड़ लोगे झूठ, तुम मुझे जानते हो!
9.
पलकों तक आए, पर छलके नहीं
लो फिर हमनें आँसू पिए आज हँसके!
10.
चलो बाँट लें, आधी-आधी सज़ाएँ...
जो बढ़ती हो, तुम मेरे हिस्से में दे दो!
11.
बहकी- बहकी है चाल, गुनगुनाता है मन
मुहब्बत की तितली ने जबसे छुआ है....!
12.
जबसे नैनों में तुमने बसेरा किया
उड़ी नींद, उसका, ठिकाना छिना....!
13.
सब्र बेशुमार!......भला क्या करूँगी?
वो जानता था- मुझको ज़रूरत पड़ेगी।
-0-
2-तख्ती- प्रीति अग्रवाल

ये कौन है,
जो दिल पे दस्तक़
दिए जा रहा है?
देखता नहीं, तख़्ती पे-
]अंदर आना मना है
लिखा है!

मैं प्यार हूँ ,.... अंधा हूँ
खुदा की रज़ा में बँधा हूँ
मैं तख्तियाँ नहीं,
धड़कनों को हूँ पढ़ता
और तेरी कह रही
तू ने मुझको पुकारा...!!
-0-